Aatankwad Essay in Hindi – आतंकवाद पर निबंध

Aatankwad Essay in Hindi – Aatankwad Par Nibandh in Hindi आए दिन अखबारों की सुर्खियां अपहरण, हत्या, लूट आदि से भरी पड़ी रहती है। इस कारण देश में भय का वातावरण-सा बन गया है। आज कोई सुरक्षित नहीं है।

Aatankwad Essay in Hindi – आतंकवाद पर निबंध

इसी असुरक्षा एवं कानून की धज्जियां उड़ाने का नाम आज आतंकवाद हैं। ‘उग्रवाद’ भी उसी का एक छोटा भाई है। इस आतंकवाद की जड़ में असंतोष, राजनीतिक स्वार्थ, प्रशासनिक भ्रष्टाचार, धार्मिक कट्टरता आदि है।

Aatankwad Essay in Hindi – आतंकवाद पर निबंध
Aatankwad Essay in Hindi – आतंकवाद पर निबंध

आज का युवावर्ग दिशाहीन हो गया है। बड़ी-बड़ी डिग्री या धारण कर छात्र-समुदाय रोजी रोजगार की तलाश करते करते जब पस्त-सा हो जाता है।

तब वह अनैतिक कार्य करने पर मजबूर हो जाता है। वह धन उपार्जन के लिए बैंक लूटने लगता है। धनी लोगों का अपहरण कर उनसे फिरौती वसूलने लगता है।

गलत मार्ग से प्राप्त धन का वह दुरुपयोग करने लगता है। युवावर्ग को चरित्रभ्रष्ट करने में राजनेताओं का निजी स्वार्थ आग में घी का काम करता है।

राजनेता युवावर्ग को भारी प्रभोलन देकर अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं। इस आतंकवाद को लेकर भारत ही नहीं, वरन संपूर्ण विश्व आक्रांत एवं त्रस्त है।

आतंकवादी आधुनिक अस्त्र-शस्त्र से लैस है। उन्हें अस्त्र शस्त्रों के बल पर वे लोगों को आतंकित करते हैं। यह आतंकवादी कभी हवाई जहाज का अपहरण कर लेते हैं तो कभी ट्रेन को ही उड़ा देते हैं।

ट्रेन, कार, बस, ट्रक की लूट और अपहरण तो साधारण सी बात हो गई है। उनके सामने किसी के जीवन मरण का कोई मोल नहीं होता है। आतंकवाद आज विश्व भर के लिए एक भयंकर चुनौती बन गया है।

आज विश्व के अनेक देशों में विभिन्न खूंखार आतंकवादी गुट सक्रिय हैं। 11 सितंबर, 2011 को अलकायदा नामक आतंकवादी गुट द्वारा अमेरिका के ट्विन टावर को बम से उड़ा दिया गया था।

भारतीय संसद पर आक्रमण, मुंबई में आक्रमण तथा अन्य जगहों में सीरियल बम ब्लास्ट आदि। आतंकवाद का अत्यंत घिनौना रूप हैं। ऐसी स्थिति में हमारा क्या कर्त्वय होना चाहिए?

क्या आतंकवादी के भय से हम उनके सामने घुटने टेक दे? क्या उनकी संख्या से हमारी संख्या से अधिक है। हमारे देश में आतंकवाद से पहले पंजाब आक्रांत था।

पंजाब के लोगो ने आत्मबल के द्वारा आतंकवाद पर काबू पाया। इसी प्रकार आतंकवाद को पारस्परिक संगठन और आत्मबल से ही काबू पाया जा सकता है।

इसके लिए युवावर्ग को ही आगे आना होगा। उनके जो साथी मार्ग से भटक गए हैं, उन्हें पुनः सन्मार्ग पर लाना होगा। स्वार्थी नेता को अपना स्वार्थ त्यागना होगा। यदि हमें अपनी स्वतंत्रता एवं संस्कृति को बचाए रखना है तो हमें अपने नैतिक चरित्र को सदृढ़ करना होगा।

Final Thoughts –

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